उत्तराखंड(देहरादून),गुरुवार 05 सितंबर 2025
उत्तराखंड रेशम कीट बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है। गत वर्ष में विभाग की ओर से 312 मीट्रिक टन शहतूत कोया, 55,352 ओकटसर कोया और 10 हजार किग्रा एरी रेशम कोये का उत्पादन किया गया। जिससे लगभग 9 हजार कृषक परिवार लाभान्वित हुए।
कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने गुरुवार को बताया कि राज्य निर्माण से अब तक रेशम विभाग कीटबीज उत्पादन के लिए केन्द्रीय रेशम बोर्ड,केन्द्र सरकार पर निर्भर था, जिस पर भारी धनराशि खर्च करनी पड़ती थी। लेकिन वर्तमान में विभाग ने बसंत फसल में ही 7 लाख डीएफएल्स का उत्पादन कर आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। अब उत्तराखंड अन्य राज्यों को भी कीटबीज की आपूर्ति करने में सक्षम है।
विभागीय मंत्री के निर्देशों पर विभाग की ओर से 13.91 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केन्द्रीय रेशम बोर्ड को भेजा गया था। इस प्रस्ताव के अंतर्गत शहतूत एवं वन्या रेशम क्लस्टरों की स्थापना के लिए मंजूरी मिल चुकी है। अभी तक एक शहतूती और एक वन्या क्लस्टर के लिए 3 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हो चुका है, जबकि शेष 4 क्लस्टरों के लिए शीघ्र ही धनराशि उपलब्ध होगी। इन क्लस्टरों से प्रदेश के 450 परिवारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और किसानों की आय बढ़ेगी।
ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के अंतर्गत गत वर्ष 13 जनपदों में 300 महिला लाभार्थियों का चयन कर 90 हजार शहतूती पौधों का रोपण किया गया। इन लाभार्थियों को ककून क्राप्ट एवं रेशम धागाकरण का प्रशिक्षण देकर रेशम उत्पादन से जोड़ा जा रहा है। जनपद पौड़ी के यमकेश्वर विकास खंड में देवभूमि रेशम किसान संगठन की ओर से 300 एकड़ भूमि पर शहतूत वृक्षारोपण किया गया है, जिससे 600 किसान रेशम कीटपालन से जुड़े हैं। भविष्य में इस क्षेत्र में रेशम धागाकरण एवं वस्त्रोपादन कार्य भी प्रस्तावित है, जिससे स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा।
उत्तराखंड को-ऑपरेटिव रेशम फेडरेशन के अंतर्गत ग्रोथ सेंटर सेलाकुई में तीन पावरलूम स्थापित कर प्रदेश में रेशमी साड़ियों का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। वर्ष 2024-25 में 45 हजार मीटर वस्त्र का उत्पादन किया गया है। आगामी वर्ष 2025-26 में देहरादून में सिल्क मार्क ऑफ इंडिया के सहयोग से ‘रेशम घर’ की स्थापना प्रस्तावित है। साथ ही सितम्बर माह में देहरादून में सिल्क